SOCIO-ECONOMIC DIVISION

Research discipline

  1. Sociological Studies
  2. Forest Economics
  3. Agroforestry and
  4. Policy Research 

1. SOCIOLOGICAL STUDIES

Research Priorities

  1. Studies of changes in the pattern of dependence of tribal and other forest dwelling communities on forests.
  2. Studies on the role of various tree species in the religio-cultural practices of tribal and other forest dwelling communities.
  3. Developing models of adaptation to climate change for villages located in the vicinity of forests in order to make them climate smart village.

2. FOREST ECONOMICS

Research Priorities

  1. Estimation of the contribution of various goods and services provided by forests in the gross domestic product.
  2. Estimation of the quantities of various non-nationalized NTFPs, including medicinal plants, annually collected in the state and their economic valuation.
  3. Estimation of demand and supply and study of value supply chains of commercially important medicinal and aromatic plant species.
  4. Wood balance studies.
  5. Assessment of the demand and potential availability of raw material resource for forest based industries.

3. AGROFORESTRY

Research Priorities

  1. Survey and documentation of currently prevailing social forestry, farm forestry bund planting and agroforestry practices, along with their economics.
  2. Estimation of species-wise trees outside forests (ToFs) in the state.
  3. Development of suitable agroforestry models for various agroclimatic zones of the state.

4.  POLICY RESEARCH

Research Priorities

  1. Impact assessment of various policies, legislations, rules, regulations, government resolutions, schemes, programmes procedures, etc. related to forestry sector, identification of problems/bottlenecks in their implementation and suggesting amendments/modifications, if required.
  2. Exploring possibilities of Forest Certification and facilitating the forest department in obtaining FSC certification.

 

Institutional Staff

Name: Dr. Ganga Sharan Mishra
Designation: Senior Research Officer and Division In-charge
Qualification: L.L.B., M.A. (Business Economics), M. Lib. Science Ph.D.(Buss. Eco.)
Experience: 26 years (Since July 1997)
Mobile: 9425384810, 7000943819
Email: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.

He joined the institute in 1997 and is now Incharge of Socio-Economic Division at State Forest Research Institute, Jabalpur. He has completed Ph. D. degree in Green Revolution of agricultural species in Rewa division in 1992. He has undertaken Research projects on tribal, economic potential of NTFPs, their marketing and processing. He has undertaken micro and macro level Socio economic study of important medicinal plants and their impact on tribal economy. He has also been part of the SFRI monitoring and evaluation projects of number of schemes like SGSY- Bamboo, medicinal plants for NMPB and FDA in Madhya Pradesh. He has undertaken study on Agro-forestry research, economics of medicinal plants and forestry species in all Agro Climatic zones in M. P. level plantations. He has undertaken study on quantification of important gum production in Madhya Pradesh.

 

Division Staff :

S.No.

Name

Designation

1. Vijay Bahadur Singh Technical Assistant
2. Alok Raikwar Technical Assistant

 

Project Staff :

S.No.

Name

Designation

1.

Suneel kumar Payasi

Junior Research Fellow

2.

Sachin Patwa

Computer Programmer/Assistant

3.

Susheel Sonwanshi

Project Assistant

 

Research

Ongoing Projects

Title of the Project

Name of PI

Source of funding

Sanctioned Amount
(Rs.)

Date of Initiation

Due Date of compilation

पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा का पठार कृषि-जलवायु प्रक्षेत्र (क्षेत्रीय वन वृत्त, उज्जैन) के अंतर्गत कृषक समृद्धि योजना द्वारा कृषि वानिकी के तहत निजी भूमि के रोपण एवं वर्तमान कृषि वानिकी मॉडल का अध्ययन।

डाॅ. जी. एस. मिश्रा

प्रधान मुख्य वन संरक्षक

(अनुसंधान, विस्तार एवं लोक वानिकी), भोपाल, मध्यप्रदेश

16.40 लाख

Mar. 2019

Jun. 2023

मध्यप्रदेश में महुआ फूल एवं अचार गुठली के उत्पादन/संग्रहण मात्रा का ऑकलन।

डाॅ. जी. एस. मिश्रा

प्रधान मुख्य वन संरक्षक

(अनुसंधान, विस्तार एवं लोक वानिकी), भोपाल, मध्यप्रदेश

64.63 लाख

Jun. 2019

Nov. 2022

मध्यप्रदेश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में कृषि-वानिकी मॉडल्स की सफलता एवं असफलता के कारकों का विश्लेषण

डाॅ. जी. एस. मिश्रा

प्रधान मुख्य वन संरक्षक

(अनुसंधान, विस्तार एवं लोक वानिकी), भोपाल, मध्यप्रदेश

39.964 लाख

Nov. 2022

Oct. 2024

 

 

 

 

Publications

1. मार्गदर्शिका : सलई वृक्ष में वैज्ञानिक विधि से टैपिंग तकनीक, सतत् विनाश विहीन विदोहन, प्राथमिक प्रसंस्करण एवं भण्डारण विधि  [Extension Series No. 54, year 2018] Download

2. मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख गोंदों की विदोहन एवं विदोहनोत्तर तकनीक [Extension Series No. 56, year 2018] Download

3. म0प्र0 में भिलवा का सामाजिक आर्थिक विश्लेषणात्मक अध्ययन। [Technical Bulletins  No. 43, year 2000] Download

4. मध्यप्रदेश के महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पादप । [Technical Bulletins  No. 49, year 2005]  Download

5. मध्यप्रदेश की प्रमुख गोंदों के उत्‍पादन तथा संग्रहण क्षेत्र  नाम से पुस्तक का प्रकाशन 

 

महत्वपूर्ण उपलब्धियां

सेवाकाल के दौरान संस्‍थान की शाखाओं में पदस्‍थापना के दौरान कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया एवं कुछ परियोजनाओं में सहयोगी के रूप में कार्य करते हुए पूर्ण किया जिनका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है।

1. सामाजिक-आर्थिक एवं विपणन शाखा  (1997-2001)

  • सामाजिक-आर्थिक एवं विपणन शाखा में पदस्थिति के पश्चात् वर्ष 1997-98 वर्ष 2002 तक लघु वनोपज आॅवला (एम्ब्लिका आॅफीसिनेलिस), सफेद मूसली (क्लोरोफायटम बोरीविलिएनम), अचार गुठली (बुकनेनिया लंजन) पर सहयोगी अन्वेषक के रूप में उक्त प्रजातियों के संग्रहण, प्रसंस्करण, श्रेणीकरण एवं विपणन से संबंधी अध्ययन किया। प्रधान अन्वेषक के रूप में भिलावा (सेमेकार्पस एनाकार्डियम) पर सूक्ष्म एवं विस्तृत अध्ययन किया जिसे वर्ष 2000 में बुलेटिन (43) के रूप में प्रकाशित किया गया। 
  • वर्ष 2001 में विपणन सूचना पद्धति के अंतर्गत लघुवनोपज प्रजातियों की बाजार कीमत से संग्राहकों को उनके परिश्रम की उचित कीमत मिले, इसके लिए सहयोगी अन्वेषक के रूप में मध्यप्रदेश की एकमात्र लघुवनोपज प्रजातियों की बाजार कीमत की जानकारी देने वाली पत्रिका वन-धन के प्रकाशन में संयुक्त सम्पादक की भूमिका निभाई।
  • सामाजिक आर्थिक शाखा में सेवा देते हुए मापिकी शाखा के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न वनमंडलों में डाले गये सेम्पल प्लाट के मापन का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर दक्षता पूर्वक मापन कार्य पूर्ण किया।

 2 . जैव विविधता शाखा  (2002-2009)

  • औषधीय प्रजातियों की खेती में संलग्न कृषकों (रीवा जिले के संदर्भ में) का सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कर औषधीय प्रजातियों के उत्पादन, प्रसंस्करण, व्यापार एवं कृषकों को प्राप्त होने वाली आय व रोजगार का अध्ययन किया एवं प्रतिवेदन से शासन को अवगत कराया गया।
  • औषधीय प्रजाति गुड़मार की कृषि तकनीक का विकास, स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के अंतर्गत बाॅस रोपण से प्राप्त आय व रोजगार का अध्ययन, प्रदेश में औषधीय प्रजातियों की उपलब्धता एवं संग्रहण, औषधीय प्रजातियों की खेती में संस्थान द्वारा आयोजित प्रशिक्षण आदि कार्यो में कार्य किया।
  • औषधीय पादप बोर्ड नई दिल्ली से औषधीय पौधों की खेती के लिये अनुदान प्राप्त करने वाले प्रदेश में 30 जिलों के (5 प्रतिशत) कृषकों का प्रधान अन्वेषक के रूप में अनुश्रवण मूल्यांकन कार्य पूर्ण कर प्रतिवेदन म.प्र. राज्य लघुवनोपज सहकारी संघ को (2006-07 में) प्रस्तुत किया। इसके फलस्वरूप पुनः प्रदेश के धार जिले के 100 प्रतिशत कृषकों के अनुश्रवण मूल्यांकन का कार्य पूर्ण कर प्रतिवेदन सौपा।
  • वन विकास अभिकरण के मूल्यांकन की दक्षता प्राप्त कर विभिन्न वन मंडलों के रोपण कार्यो का मूल्यांकन कार्य पूर्ण किया।
  • साल के पुनरुत्पादन का अध्ययन कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
  • मध्यप्रदेश के महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक पादप के अंग्रेजी संस्करण को परिष्कृत एवं परिमार्जित करते हुए 156 प्रजातियों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत करते हुए 34 अन्य् आयुर्वेदिक पादप पर अनुसंधान कर कुल 190 प्रजातियों पर जन साधारण के लिए लोकोपयोगी जानकारी (2005) में प्रस्तुत किया।

3. प्रचार-प्रसार शाखा (2010)
      अपर संचालक एवं मुख्य वन संरक्षक श्री आर. पी. सिंह साहब के मार्गदर्शन में कृषि वानिकी से सम्बन्धित परियोजना क्लोनल यूकेलिप्टस का सूक्ष्म अध्ययन कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

4. सामाजिक-आर्थिक एवं विपणन (2011-2016)

  • पुनः सामाजिक आर्थिक शाखा में पदस्थापना होने के पश्चात् प्रदेश के विभिन्न वनमंडलों में एफ.डी.ए. का मूल्यांकन एवं मध्यप्रदेश के 11 कृषि जलवायु क्षेत्र के प्रत्येक जिले में जी भूमि पर रोपित वृक्ष एवं औषधीय प्रजातियों के कृषकों का प्रारंम्भिक सर्वेक्षण कर डेटा बेस तैयार किया इसके उपरांत सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से कृषकों के रोपण स्थल से वृक्षों का मापन कर प्राप्त होने वाली आय का आॅकलन किया।
  • मध्यप्रदेश के वनों में पाई जाने वाली महत्वपूर्ण गोंद जिनका कि संग्रहण एवं व्यापार के द्वारा आदिवासियों की आय पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रदेश में जिलेवार कौन-कौन सी गोद का कितनी मात्रा में संग्रहण किया जाता है, संग्रहण क्षेत्र आदि से संबंधित विस्तृत अध्ययन पूर्ण कर आॅकड़ों के विश्लेषण एवं प्रतिवेदन लेखन का कार्य जारी है। 

5. कृषि वानिकी शाखा  (2016-- फरवरी 2022)

  1. मार्च 2016 में गठित शाखा का प्रभार प्राप्त होने के उपरांत पूर्व की चल रही गोंद परियोजना के अध्ययन को जारी रखा गया।
  2. सलई गोंद ''सलई गोंद संग्रहण प्रशिक्षण: मध्यप्रदेश में गोंदों का सतत् विदोहन, प्रसंस्करण, श्रेणीकरण, भण्डारण, पैकेजिंग एवं विपणन की वैज्ञानिक तकनीक'' MFP Fed, Bhopal के निर्देशानुसार एवं प्रदत्‍त परिेयोजना के अंतर्गत देवास, बुरहानपुर एवं श्‍योपुर जिले में वन अमला एवं संग्राहकों को मुख्‍य प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्रदान कर तैयार किया।
  3. ''मध्‍यप्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख गोंदों की विदोहन एवं विदोहनोत्‍तर तकनीक'' वन विभाग के अमलों को मार्गदर्शन हेतु प्रचार प्रसार तकनीकी पुस्तिका क्रमांक 56 का प्रकाशन।
  4. अनुसंधान विस्‍तार एवं लोकवानिकी मध्‍यप्रदेश भोपाल द्वारा प्रदत्‍त वित्‍तीय अनुदान से कुल 03 परियोजनाओं पर कार्य जारी है-
  • ''पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा का पठार कृषि-जलवायु प्रक्षेत्र (क्षेत्रीय वन वृत्त उज्जैन) के अंतर्गत कृषक समृद्धि योजना द्वारा कृषि वानिकी के तहत् निजी भूमि के रोपण एवं वर्तमान कृषि वानिकी मॉडल का अध्ययन''
  • ''मध्यप्रदेश में महुआ फूल एवं अचार गुठली के उत्पादन/संग्रहण मात्रा का आँकलन''
  • ''देवास जिले में लोकवानिकी प्रबन्ध योजना क्रियान्वयन का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन''

6. सामाजिक-आर्थिक प्रभाग प्रभारी (फरवरी 2022 से निरन्तर)

  • फरवरी 2022 में पुनर्गठित सामाजिक आर्थिक प्रभाग का प्रभार प्राप्त होने के उपरांत पूर्व की चल रही परियोजनाओं के अध्ययन को जारी रखा गया। साथ ही प्रभाग से जुड़ी स्थलीय व्यावहारिक कठिनाइयों का अध्ययन करने के लिए स्थलीय सर्वेक्षण कर कृषकों से चर्चा द्वारा प्राप्त जटिल तथ्यों के समाधान हेतु परियोजना प्रस्ताव को भोपाल में प्रधान मुख्‍य वन संरक्षक, वनबल प्रमुख की अध्‍यक्षता में दिनांक 04/03/2022 को अध्‍ययन एवं अनुसंधान परियोजना 5108 अंतर्गत गठित समिति के समक्ष प्रस्‍तुत किया जिसका अनुमोदन प्राप्‍त हो गया।
  • संस्‍थान के न्‍यू विजन के तहत् महत्‍वपूर्ण शाखाओं - Agro-forestry, Sociological Studies, Forest Economics एवं Policy Research को मिलाकर नया स्‍वरूप प्रदान करते हुए सामाजिक आर्थिक प्रभाग का गठन करते हुए प्रभार सौंपा गया।
  • वर्तमान में सामाजिक आर्थिक प्रभाग प्रभारी के रूप में सेवारत।

Services rendered

  • Studies of changes in the pattern of dependence of tribal and other forest dwelling communities on forests.

  • Estimation of the quantities of various non-nationalized NTFPs, including medicinal plants, annually collected in the state and their economic valuation.

  • Assessment of the demand and potential availability of raw material resource for forest based industries.

  • Survey and documentation of currently prevailing social forestry, farm forestry bund planting and agroforestry practices, along with their economics.

  • Development of suitable agroforestry models for various agroclimatic zones of the state.

  • Impact assessment of various policies, legislations, rules, regulations, government resolutions, schemes, programmes procedures, etc. related to forestry sector, identification of problems/bottlenecks in their implementation and suggesting amendments/modifications, if required.

 

Completed Projects

Title of the project Name of PI Objectives Funding Agency Year of completion
         
देवास जिले में लोकवानिकी प्रबन्ध योजना क्रियान्वयन का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन। डाॅ. जी. एस. मिश्रा
  • लोक वानिकी प्रबंध योजना एवं भू-राजस्व संहिता की धारा 240-241 के क्रियान्वयन का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन। .

प्रधान मुख्य वन संरक्षक

(अनुसंधान, विस्तार एवं लोक वानिकी), भोपाल, मध्यप्रदेश

Apr. 2023